Wednesday, November 19, 2008

हकलाना और तुतलाना

 मै आज एक बात आप सभी को बताना चाहता हु की हकलाना को आप कैसे ठीक कर सकते है
हमारे समाज में वाणी ढोस से पीढित व्यक्ति को हस्या द्रष्टि से देखा जाता है , हकलाने वाले व्यक्ति अन्दर ही अन्दर
आपने आप से लड़ते रहते है ,और आपने आप को समझाते रहते है , इनके अंदर भय जन्म लेलेता है और धीरे धीरे ये लोग यह मानने लगते है की हकलाहट ठीक नही होती है ,जब की ऐसा नही है ,यदि आप सोच सकते है की हकलाहट ठीक होती है तो -बिल्कुल ही ठीक होती है
ढोस्तो मै हकलाहट को बहुत करीब से २६ शाल तक देखा है , धुट धुट कर जीवन काट रहा था , परीक्षा में सारी रात पढता लेकिन इंटरव्यू में ऊपर की निचे होने लगती थी , और मुह से अक्षर ही नही निकलते थे ,
अधिक जानकारी की लिए मेरी बेब सईट देखिये
डॉ बी.के .सिंह (साइकोलाजिस्ट )
सूरज स्टेमेंरिंग क्योर सेंटर
संथोम स्कुल के पास सतना रोड मैहर जिला सतना (म.प्र ) फोन ०७६७४ २३४३९२,०९३००२७३७०३